Khatu Shyam Mandir - Khatushyamji Status Quotes and Shayari
"शीश का दानी", "तीन बाणधारी", "हारे का सहारा" जय श्री श्याम
सभी श्याम भक्तो का हमारे ब्लॉग पर स्वागत है. सबसे पहले आप सभी को ।। जय श्री श्याम।। आज की पोस्ट में हम लेकर आये है Khatu Shyam Status और Shayari हिन्दी कलेक्शन जिन्हें आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरुर शेयर करे. खाटूश्यामजी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। खाटूश्यामजी जिन्हें "शीश का दानी", "तीन बाणधारी" और "हारे का सहारा" के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार माना जाता है। आपको ये पोस्ट कैसा लगा हमारे कमेंट्स बॉक्स में जरुर बताये - जय श्री श्याम
राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम मंदिर भारत के प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक है। खाटूश्याम जी को भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार माना जाता है। जहा भारत के अन्य राज्यों से भी लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर दर्शन करने आते हैं. खाटू श्याम बाबा भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। इन्हीं की खाटू श्याम रूप में पूजा की जाती है। बर्बरीक ने भगवान शिव से तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। इसी कारण इन्हें तीन बाणधारी भी कहा जाता है। द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने श्याम जी को वरदान दिया था कि कलयुग में उनका नाम श्याम से प्रसिद्ध होगा। जिन्हें आज खाटू श्याम बाबा कहा जाता है।
बर्बरीक कैसे बने खाटू श्याम- महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने इनसे इनका शीश दान में मांग लिया था। शीश का दान करने पर भगवान श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने इन्हें कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वर प्रदान दिया।
युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने सोचा कि अगर कौरवों को हारता देखकर बर्बरीक कौरवों का साथ देने लगा तो पांडवों का हारना निश्चित है। तब श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण करके बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया।
यह सोच उन्होंने ब्राह्मण से उनके असली रूप के दर्शन की इच्छा व्यक्त की। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने विराट रूप में दर्शन दिए। इसपर उन्होंने अपनी तलवार निकालकर श्रीकृष्ण के चरणों में अपना सिर अर्पण कर दिया, श्रीकृष्ण ने उनके शीश को अपने हाथ में उठा कर अमर कर दिया। उन्होंने श्रीकृष्ण से सम्पूर्ण युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की इसलिए श्रीकृष्ण ने उनके शीश को युद्ध भूमि के समीप ऊंची पहाड़ी पर सुशोभित कर दिया, जहां से बर्बरीक ने पूरा युद्ध देखा।
युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे पांडवों के पराक्रम के बारे में पूछा तो बर्बरीक के शीश ने उत्तर दिया, भगवन युद्ध में आपका सुदर्शन चक्र नाच रहा था और जगदम्बा लहू का पान कर रही थीं, मुझे तो ये लोग कहीं भी नजर नहीं आए। बर्बरीक का उत्तर सुन सभी की नजरें नीचे झुक गईं।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि, बर्बरीक धरती पर तुम से बड़ा दानी न तो कोई हुआ है और न ही होगा। मां को दिए वचन के अनुसार, तुम हारने वाले का सहारा बनोगे। लोग तुम्हारे दरबार में आकर जो भी मांगें उन्हें मिलेगा। तब भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को वरदान दिया कि कलियुग में मेरे श्याम नाम से पूजे जाओगे
खाटू श्याम मंदिर की कहानी के अनुसार, द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने श्याम जी को वरदान दिया था कि कलयुग में उनका नाम श्याम से प्रसिद्ध होगा। इसके बाद, बर्बरीक का शीश खाटू नगर वर्तमान राजस्थान राज्य के सीकर जिला में स्थापित किया गया, जिससे उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है। जहां इनके शीश की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां बाबा श्याम अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं। जो भी भक्त सच्चे हृदय से यहां मन्नत मांगते हैं, बाबा उनकी इच्छा जरूर पूर्ण करते हैं।
खाटू श्याम मंदिर आज भी हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में गिना जाता है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने की कामना करते हैं। मान्यता के अनुसार जहाँ मंदिर का निर्माण हुआ है,वहीं बर्बरीक का कटा हुआ शीश खुदाई में प्राप्त हुआ था। खाटूश्यामजी मंदिर में फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में बड़े मेले का आयोजन होता है.
जन्मोत्सव का महत्व: खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को धूमधाम से मनाया जाता है।
खाटू श्याम लक्खी मेला - खाटू श्याम मेला का आयोजन हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी से नवमी तिथियों पर किया जाता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु खाटू श्याम बाबा के दर्शन के लिए आते हैं और अपने मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए उन्हें प्रार्थना करते हैं।
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नही पता कौन हूँ मैं और कहा मुझे जाना हैं,
खाटू श्याम ही मेरी मँजिल हैं और खाटू बाबा का दर ही मेरा ठिकाना हैं
दुःख और कष्टों का नाश होता हैं,
जिसके हृदय में बाबा खाटू जी का वास होता हैं।
श्याम में ही शक्ति और श्याम में ही है सारा संसार।
एक खाटू वाला है जो हारे को जिता कर खुश होता है।
मोर छड़ी और काली कमली, होठो पे मुस्कान है
बिन मांगे जो भर देता झोली, ऐसा है हमारा श्याम
श्याम नाम अनमोल खजाना, जो बोले सो पायेगा,
बाकी सारा इस धरा का, यहीं धरा रह जायेगा।।
ना सुकून है ना मुझे करार
सिर्फ मेरे खाटू बाबा के दर्शन का इंतजार
कोई ख्वाहिश किसी की अधूरी ना रहे।
खाटू श्याम आप सब की ख्वाहिश जरूर पूरी करे।
FAQ and Q&A :- Khatu Shyam Mandir - Sikar Rajasthan
खाटूश्याम मंदिर कहा पर है? - राजस्थान में सीकर शहर से सिर्फ 43 किमी दूर खाटू गांव में
खाटूश्याम किसके अवतार है?- श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार
खाटूश्याम को दुसरे नाम क्या है?- "शीश का दानी", "तीन बाणधारी", "हारे का सहारा"
खाटू श्याम मेला कब का है?- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी से नवमी
खाटू श्याम दर्शन टाइम? - प्रात: 4:30 बजे, रात्रि 10:00 बजे
खाटू श्याम जाने का रास्ता- सिंधी बस स्टैंड जयपुर से खाटू श्याम की दूरी करीब 80 किलोमीटर है।
खाटू श्याम जी का जन्मदिन कब मनाया जाता है? -फाल्गुन मास की ग्यारस (एकादशी) को मनाया जाता है.
रींगस से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है?- रींगस से खाटू श्याम 26 किलोमीटर है
खाटू श्याम जी किसका रूप है? - श्री खाटूश्याम जी भगवान कृष्ण के कलयुगी अवतार है।
खाटू श्याम कौन से महीने में जाना चाहिए? - फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम जी के दर्शन करना विशेष फलदायी माना जाता है
खाटू श्याम की फेमस चीज क्या है? - मंदिर से कुछ दूरी पर पवित्र श्याम कुंड स्थित है। बाबा श्याम का शीश इसी जगह से प्राप्त हुआ था
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